“अल्लाह हुम्मा अजिरनी मिनन्नार” एक खास दुआ है जो मुस्लिम समाज में जन्नत की कामना और जहन्नुम की आग से हिफाज़त के लिए पढ़ी जाती है। ये बहुत ही पावरफु दुआ है। इस दुआ को कई खास मौके पर पढ़ी जाती है। जिसके बारे में हम आगे बताएंगे। इस दुआ को पढ़ने से इंसान अल्लाह से रहमत और माफी की गुज़ारिश करता है। इसका मतलब सिर्फ अल्लाह की पनाह मांगना नहीं है, बल्कि अपनी जिंदगी में नेकी और सच्चाई का रास्ता अपनाने की ताकीद भी है। अरबी के साथ-साथ, इसका महत्व हिंदी और उर्दू बोलने वाले मुसलमानों में भी उतना ही है। इसीलिए आज हम आपको AllahHumma Ajirni Minan Naar Meaning in Hindi, English and Urdu के बारे में बताएंगे।
ये एक बेहतरीन दुआ है जिसका जिक्र हदीस में आया है। आइए जानते है कि इस दुआ को कब और कैसे पढ़ा जाता है।
अल्लाह हुम्मा अजिरनी मिनन्नार दुआ हिंद में
"अल्लाह हुम्मा अजिरनी मिनन्नार"
तर्जुमा: ऐ अल्लाह मुझे जहन्नम की आग से बचा।
AllahHumma Ajirni Dua in English
"AllahHumma Ajirni Minan Naar"
Translation: Oh Allah Protect me from Hell and Hell Fire.
Urdu:
"اللہ ہمہ اجرنی من النار" کا مطلب ہے "اے اللہ، مجھے آگ سے بچا۔" یہ دعا جہنم کی آگ سے حفاظت کے لیے مانگی جاتی ہے اور اللہ کی پناہ کی طلبگار ہوتی ہے۔
Bangla:
"আল্লাহ হুম্মা আজিরনি মিনান নার" অর্থ "হে আল্লাহ, আমাকে আগুন থেকে রক্ষা করো।" এই দোয়া জাহান্নামের আগুন থেকে বাঁচার জন্য আল্লাহর সাহায্য কামনা করে।
Allahumma ajirni minan naar Ki Fazilat
जैसा कि हमने आपको पहले ही बताया है कि Allah Humma Ajirni Minan Naar दुआ एक पॉवरफुल दुआ है। इस दुआ में हम अल्लाह से जहन्नम और जहन्नम की आग से पनाह मांगते हैं।
हदीस शरीफ़ में आता है की हमारे प्यारे आका हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि मगरिब की नमाज़ के फौरन बाद किसी से एक शब्द भी कहे बिना सिर्फ सात बार अल्लाह हुम्मा अजिरनी मिनन्नार पढ़ना चाहिए। क्योंकि इस दुआ को इस वक्त पढ़ने वाला शख्स अगर उस रात फौत हो जाता है तो उसे जहन्नम और जहन्नम की आग से बचा लिया जायेगा।
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हदीस में आगे आता है की अगर कोई शख्स इसी तरह फजर की नमाज़ के तुरंत बाद किसी से बात किए बिना अगर 7 मर्तबा Allah Humma Ajirni Minan Naar पढ़ता है और दुनिया से रुखसत हो जाता है तो उसे जहन्नम की आग से हिफाज़त मिलेगी।
Reference : Sunan Abi Dawud 5079
इसके अलावा इस दुआ को रमज़ान के आखरी अशरे में भी काफी ताकीद के साथ पढ़ा जाता हैं। क्योंकि रमज़ान का आखरी अशरा जहन्नम से आज़ादी का होता है। लिहाज़ा इस दुआ में भी हम अल्लाह से जहन्नम से आज़ादी ही मांगते हैं।
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हालांकि की हदीस में आया है कि दुआ मोमिन का हथियार है। और हम गुनहगार लोगो के लिए ये दुआ अल्लाह को तरफ से बेहतरीन तोहफा है। ऐसे में हमें इस दुआ को हर वक्त पढ़ते रहना चाहिए।
आखरी अल्जफा
“अल्लाह हुम्मा अजिरनी मिनन्नार” दुआ अल्लाह से माफी मांगने और जहन्नम से हिफाज़त के लिए बहुत ताकतवर दुआ है। ये दुआ मुस्लिम समाज में जन्नत की ख्वाहिश और जहन्नुम की आग से बचने के लिए पढ़ी जाती है। ये दुआ सिर्फ अल्लाह से पनाह मांगने का तरीका नहीं है, बल्कि हमें जिंदगी में अच्छाई और सचाई के रास्ते पर चलने की हिदायत भी देती है। हदीस शरीफ़ में इसका जिक्र आया है,
और इसे खासतौर पर मगरिब और फजर की नमाज़ के बाद पढ़ने की सलाह दी गई है। रमज़ान के आखिरी अशरे में भी इसे पढ़ने की ताकीद की गई है। ये दुआ अल्लाह की रहमत और माफी की गुज़ारिश करती है और मोमिन के लिए एक शानदार तोहफा है।
FAQs:
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अल्लाह हुम्मा अजिरनी मिनन्नार दुआ कब पढ़ी जाती है?
इस दुआ को खासतौर पर मगरिब और फजर की नमाज़ के तुरंत बाद, और रमज़ान के आखिरी अशरे में पढ़ा जाता है।
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इस दुआ का क्या फायदा है?
ये दुआ जहन्नम की आग से बचने के लिए अल्लाह से पनाह मांगने का जरिया है और ये हमें अच्छाई के रास्ते पर चलने की हिदायत देती है।
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क्या ये दुआ हिंदी और उर्दू में भी पढ़ी जा सकती है?
इस दुआ का असल में अरबी में पढ़ना ज्यादा फायदेमंद माना जाता है, लेकिन इसका मतलब और अहमियत हिंदी और उर्दू में भी समझ सकते हैं।
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क्या ये दुआ रोज़ पढ़ी जा सकती है?
हां, इस दुआ को आप जब चाहें पढ़ सकते हैं, क्योंकि ये अल्लाह से रहमत और माफी मांगती है।