Nek Aulad ki dua in hindi – नेक औलाद की दुआ कुरान से

nek aulad ki dua in hindi

Assalamualaikum प्यारे दोस्तों और बहनों! हर माँ-बाप का दिल चाहता है कि अल्लाह उन्हें औलाद की दौलत से नवाज़े। और अगर वो औलाद Nek aulad ki dua से मांगी गई हो और नेक बन जाए, तो ये दुनिया की सबसे बड़ी कामयाबी है। ऐसी औलाद जो हमारी आँखों की ठंडक बने, हमारी बुढ़ापे का सहारा बने और हमारे मरने के बाद भी हमारे लिए दुआ करने वाली हो। क्या आप भी यही चाहते हैं?

यकीनन, हर मुसलमान की यही ख्वाहिश होती है। आज हम इसी बहुत ही ज़रूरी मौज़ू पर बात करेंगे – Nek aulad ki dua in hindi के बारे में। हम जानेंगे कि कुरआन और हदीस की रोशनी में Naik aulaad paane ki dua और Nek aulad ka wazifa क्या है।

अल्लाह तआला ने औलाद को आज़माइश भी बनाया है और नेमत भी। ये हम पर निर्भर करता है कि हम अपनी औलाद को कैसा बनाते हैं। लेकिन हमारी कोशिश के साथ-साथ अल्लाह से नेक औलाद की दुआ मांगना सबसे अहम है।

नेक औलाद अल्लाह का ख़ास इनाम क्यों है?

नेक औलाद वो पौधा है जिसका फल आपको दुनिया और आख़िरत दोनों में मिलता है।

  • वो आपकी बात मानती है, आपका अदब करती है।
  • वो दीन पर चलती है, जिससे आपके दिल को सुकून मिलता है।
  • वो समाज के लिए फायदेमंद साबित होती है।
  • सबसे बढ़कर, सहीह हदीस में आता है कि जब इंसान मर जाता है, तो उसके सारे अमल बंद हो जाते हैं, सिवाए तीन चीज़ों के: सदक़ा-ए-जारिया (लगातार मिलने वाला सवाब), वो इल्म जिससे लोग फायदा उठाएं, और नेक औलाद जो उसके लिए दुआ करे। (सहीह मुस्लिम)

इसीलिए सिर्फ औलाद की ख्वाहिश रखना काफी नहीं, बल्कि अल्लाह से खास तौर पर Nek Aur Salihih Aulad Hone ki dua Quran se और सुन्नत से सीखकर मांगनी चाहिए।

कुरआन-ए-पाक से नेक औलाद की दुआएं (Aulad ke liye dua in Quran)

हमारे प्यारे नबी और नेक लोगों ने अल्लाह से नेक औलाद के लिए खास दुआएं की हैं। कुरआन में उनमें से कुछ का ज़िक्र है, जो हमारे लिए बेहतरीन सबक हैं:

नेक औलाद के लिए हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम की दुआ:


हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने मक्का में अपनी औलाद के लिए ये दुआ की, जो सूरह इब्राहीम की आयत 40 में है:

अरबी में: رَبِّ اجْعَلْنِي مُقِيمَ الصَّلَاةِ وَمِن ذُرِّيَّتِي ۚ رَبَّنَا وَتَقَبَّلْ دُعَاءِ

Nek Aulad ki dua in hindi:

रब्बी इज’अलनी मुक़ीमस सलाति व मिन ज़ुर्रिय्यती, रब्बना व तक़ब्बल दुआ।

हिंदी में (तरजुमा):
“ऐ मेरे परवरदिगार! मुझे नमाज़ क़ायम करने वाला बना और मेरी औलाद में से भी (नमाज़ क़ायम करने वाले)। ऐ हमारे परवरदिगार! मेरी दुआ कुबूल फरमा।”

English:
Rabbi ij’alni muqimas Salati wa min Dhurriyyati, Rabbana wa taqabbal Du’a.

ये दुआ हमें सिखाती है कि औलाद के लिए सबसे पहले दीनदारी और नमाज़ क़ायम करने वाला बनने की दुआ करें।

नेक दुआ पाने की दुआ हज़रत ज़करिया अलैहिस्सलाम की दुआ:

जब हज़रत ज़करिया अलैहिस्सलाम ने हज़रत मरियम अलैहिस्सलाम के पास अल्लाह की तरफ से बेमौसम फल देखे, तो उनके दिल में औलाद की तलब पैदा हुई और उन्होंने अल्लाह से ये दुआ की, जो सूरह आल-ए-इमरान की आयत 38 में है:

अरबी में: رَبِّ هَبْ لِي مِن لَّدُنكَ ذُرِّيَّةً طَيِّبَةً ۖ إِنَّكَ سَمِيعُ الدُّعَاءِ

Auald ki dua hindi mein: रब्बी हब ली मिल लदुनका ज़ुर्रिय्यतं तय्यिबाह; इन्नका समीउद दुआ।

हिंदी में (तरजुमा): “ऐ मेरे परवरदिगार! मुझे अपने पास से पाकीज़ा औलाद अता फरमा। बेशक तू ही दुआ सुनने वाला है।”

English: Rabbi hab lee mil ladunka Dhurriyyatan Tayyibah; innaka Samee’ud Du’aa’.

यहाँ “ज़ुर्रिय्यतं तय्यिबाह” का मतलब है “पाकीज़ा औलाद”, यानी जो नेक और सालेह हो। ये दुआ BeAulad ke liye dua के तौर पर बहुत ताकतवर है। कुरआन में और भी कई दुआएं हैं जो औलाद के लिए मांगी गई हैं, आप उन्हें कुरआन की सूरा मरयम या सूरा अंबिया में देख सकते हैं। कुरआन की आयात और उनकी तफ़सीर (व्याख्या) के लिए आप Quran.com जैसी भरोसेमंद वेबसाइट्स से मदद ले सकते हैं।

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नेक औलाद के लिए वजीफा और ज़रूरी अमल (Nek aulad ka wazifa and Essential Practices)

सिर्फ दुआ के अल्फाज़ दोहराना काफी नहीं है। दुआ में तासीर (असर) तब आती है जब हमारे अमल भी दुरुस्त हों और हम अल्लाह से पूरी उम्मीद रखें। Nek Aulad mangne ki dua kya hai? इसमें दुआ के साथ-साथ ये आमाल शामिल हैं:

  1. खुद सालेह बनें: सबसे बड़ा नेक औलाद का वजीफा ये है कि हम खुद नेक और परहेज़गार बनें। हमारा अपना किरदार, हमारा अल्लाह से रिश्ता, हमारी इबादतें – ये सब हमारी औलाद की तरबियत (परवरिश) पर गहरा असर डालते हैं। हलाल रोज़ी कमाएं, गुनाहों से बचें, अल्लाह के बताए रास्ते पर चलें। Islamqa.info जैसी वेबसाइट्स पर इस्लामी एहकाम के बारे में मालूमात हासिल करें।
  2. कसरत से इस्तग़फ़ार (माफ़ी मांगना): अल्लाह से अपने गुनाहों की खूब माफ़ी मांगें। इस्तग़फ़ार गुनाहों को धोता है और अल्लाह की रहमत को खींचता है। कुरआन में आया है कि इस्तग़फ़ार माल और औलाद में बरकत का ज़रिया है।
  3. पाँच वक़्त की नमाज़ों की पाबंदी: नमाज़ सबसे ज़रूरी फरीज़ा है। वक़्त पर नमाज़ पढ़ना हमारी ज़िंदगी में अनुशासन और बरकत लाता है।
  4. सदक़ा और खैरात: अल्लाह की राह में माल खर्च करना दुआओं की कुबूलियत का एक अहम ज़रिया है। नेक औलाद की दुआ के साथ-साथ सदक़ा करना बहुत फायदेमंद है। दुनिया में ज़रूरतमंदों की मदद करना भी एक तरह का इन्वेस्टमेंट है जिसका सवाब हमें मिलता है। माली मुआमलात में शरई उसूलों को जानने के लिए आप हमारे पिछले आर्टिकल हलाल इन्वेस्टमेंट आइडियाज़: एक मुकम्मल गाइड से मदद ले सकते हैं।
  5. औलाद के लिए तरबियत की सही प्लानिंग: दुआ मांगने के साथ-साथ औलाद की इस्लामी तरबियत की प्लानिंग करना भी ज़रूरी है। उन्हें कुरआन सिखाना, नमाज़ सिखाना, इस्लामी आदाब सिखाना हमारी ज़िम्मेदारी है। बच्चों की तरबियत के बारे में आप AboutIslam.net जैसे प्लेटफॉर्म्स पर अच्छे आर्टिकल्स पढ़ सकते हैं।
  6. दुआओं में ज़ोर: कुरआन और हदीस में बताई गई दुआओं को दिल की गहराई से और यकीन के साथ पढ़ें। Nek aulad ki dua मांगते वक़्त अल्लाह की क़ुदरत और रहमत पर पूरा भरोसा रखें।

BeAulad जोड़ों के लिए सब्र और दुआ

जिन जोड़ों को अभी तक औलाद नहीं हुई है, उनके लिए ये वक़्त आज़माइश का हो सकता है। लेकिन इस आज़माइश में सब्र करना और अल्लाह से उम्मीद रखना बहुत ज़रूरी है। BeAulad ke liye dua करते रहें, खासकर हज़रत ज़करिया अलैहिस्सलाम वाली दुआ खूब पढ़ें। मायूस न हों। अल्लाह किसी को औलाद देर से या नहीं देता, तो उसमें भी कोई मसलहत (भलाई) ज़रूर होती है जो हम नहीं जानते। इलाज कराना शरई तौर पर जायज़ है, इसलिए डॉक्टरी सलाह ज़रूर लें।

बेटा या बेटी: नेक औलाद की दुआ की अहमियत

कुछ लोग Aulad e narina ke liye dua (बेटे के लिए दुआ) पर ज़्यादा ज़ोर देते हैं। हालांकि बेटा मांगना जायज़ है, लेकिन इस्लाम ने बेटे और बेटी दोनों को अल्लाह की नेमत बताया है। कुरआन कहता है कि अल्लाह जिसे चाहता है, उसे बेटा देता है और जिसे चाहता है, बेटी। असली चीज़ औलाद का नेक और सालेह होना है, चाहे वो बेटा हो या बेटी। एक नेक बेटी भी माँ-बाप के लिए जन्नत में जाने का ज़रिया बन सकती है। इसलिए Nek Aulad mangne ki dua में नेक और सालेह औलाद मांगें, बजाय सिर्फ़ बेटा मांगने के।

Hadith की रोशनी में नेक औलाद की फज़ीलत

जैसा कि हमने ऊपर ज़िक्र किया, नेक औलाद मरहूम माँ-बाप के लिए सदक़ा-ए-जारिया है। हदीस में आता है:
अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया:

अरबी में:
إِذَا مَاتَ الإِنْسَانُ انْقَطَعَ عَنْهُ عَمَلُهُ إِلاَّ مِنْ ثَلاَثَةٍ إِلاَّ مِنْ صَدَقَةٍ جَارِيَةٍ أَوْ عِلْمٍ يُنْتَفَعُ بِهِ أَوْ وَلَدٍ صَالِحٍ يَدْعُو لَهُ ‏

“इज़ा माता अल-इंसानु इनक़त’अ अन्हु अमलुहू इल्ला मिन सलासतिन: इल्ला मिन सदक़तिन जारियतिन, अव इल्मिन युनतफ़ा’उ बिही, अव वलदिन सालिहिन यद’उ लहू।”

हिंदी में (तरजुमा):
“जब इंसान मर जाता है, तो उसका अमल बंद हो जाता है, सिवाए तीन चीज़ों के: एक सदक़ा-ए-जारिया, या वो इल्म जिससे फायदा उठाया जाए, या नेक औलाद जो उसके लिए दुआ करे।”

(सहीह मुस्लिम, किताबुल वसीयत, हदीस नंबर 1631)

ये हदीस साफ तौर पर Nek aulad ki dua और उनकी नेक तरबियत की अहमियत को बताती है।

FAQs:

क्या सिर्फ़ अरबी में दुआ पढ़ने से ही नेक औलाद मिलेगी?

नहीं, दुआ अरबी में पढ़ना सुन्नत है और इबादत है, लेकिन आप अपनी ज़बान (जैसे हिंदी) में भी अल्लाह से नेक औलाद के लिए दिल खोलकर दुआ कर सकते हैं। अल्लाह तो हमारे दिलों के हाल जानता है। अहम बात ये है कि दुआ दिल से और यकीन के साथ हो।

क्या औलाद की तरबियत के साथ-साथ दुआ भी ज़रूरी है?

हाँ, बिल्कुल। अच्छी तरबियत करना हमारी ज़िम्मेदारी है, लेकिन हिदायत देना और नेक बनाना अल्लाह का काम है। इसलिए बेहतरीन तरबियत के साथ-साथ अल्लाह से नेक बनने और नेक रहने की दुआ करना बहुत ज़रूरी है। ये दोनों पहलू साथ-साथ चलने चाहिए।

क्या कोई खास वज़ीफ़ा है जिससे फौरन औलाद हो जाए?

इस्लाम में कोई ऐसा गारंटीशुदा वज़ीफ़ा नहीं है जिससे फौरन कोई चीज़ मिल जाए। अल्लाह हर चीज़ का फैसला करता है। वज़ीफ़े और दुआएं अल्लाह से मांगने का ज़रिया हैं। हमें नेक आमाल के साथ अल्लाह से दुआ करनी चाहिए और सब्र रखना चाहिए। अल्लाह जब चाहता है तब नेमत अता फरमाता है।

अगर औलाद नाफरमान हो जाए तो क्या करें?

तब भी सब्र करें, दुआ करते रहें, और नरमी व हिकमत (समझदारी) के साथ उनकी इस्लाह (सुधार) की कोशिश करें। उनके लिए हिदायत की दुआ करते रहें। हो सकता है अल्लाह किसी वक़्त उनकी ज़िंदगी बदल दे।

आख़िरी बात:

प्यारे दोस्तों, Nek aulad ki dua मांगना हर माँ-बाप का हक़ है और अल्लाह से मांगने का एक बेहतरीन ज़रिया है। कुरआन और हदीस ने हमें इसके लिए बहुत प्यारी दुआएं सिखाई हैं। इन दुआओं को पढ़ें, इन्हें समझें, और इनके साथ-साथ खुद भी नेक बनें। अल्लाह पर भरोसा रखें और कभी भी उसकी रहमत से मायूस न हों।

अल्लाह हम सबको नेक और सालेह औलाद अता फरमाए, उन्हें दीन पर चलने वाला बनाए, और उन्हें हमारे लिए सदक़ा-ए-जारिया बनाए। आमीन।

कोई और सवाल हो तो ज़रूर पूछिएगा!

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