
Dua for Success in hindi: कामयाबी, हर इंसान की ज़िंदगी का एक अहम हिस्सा है. चाहे वो exam me ache number lana हो, job me tarakki हो, rishte banana हो, या business me munafa kamana हो – हम सब अपनी ज़िंदगी के हर पहलू में कामयाब होना चाहते हैं. लेकिन क्या सिर्फ़ मेहनत से ही कामयाबी मिलती है? इस्लाम हमें सिखाता है कि मेहनत के साथ-साथ अल्लाह की रहमत और dua for success भी कामयाबी के लिए बेहद ज़रूरी है.
अल्लाह पर यकीन और उसकी मदद के लिए दुआ करना, मुसलमानों की ज़िंदगी का एक मज़बूत आधार है. दुआ सिर्फ़ माँगना नहीं, बल्कि अपने रब से रिश्ता मज़बूत करने का एक ज़रिया है. यह हमें सिखाता है कि हमारी हर कामयाबी अल्लाह की तरफ़ से है और हमें उस पर भरोसा रखना चाहिए.
1. Dua for Success क्यों ज़रूरी है?
सफलता हासिल करना हम सबकी ख्वाहिश होती है. हम में से हर कोई ज़िंदगी के किसी न किसी पड़ाव पर kamiyabi ki talash में रहता है. कभी हम किसी इम्तिहान में अच्छे नंबर लाने की उम्मीद करते हैं, तो कभी नौकरी में तरक्की चाहते हैं, या फिर एक अच्छा बिज़नेस शुरू करने का सपना देखते हैं. कामयाबी हमें खुशी देती है, हमारा हौसला बढ़ाती है, और हमें ज़िंदगी में आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है.
इस्लाम में, दुआ की बहुत ज़्यादा अहमियत है. दुआ सिर्फ़ अपनी ज़रूरतों को अल्लाह के सामने रखना नहीं, बल्कि उससे बातचीत करना, अपने दिल की बात कहना और उसकी रहमत पर पूरा यकीन रखना है. नबी-ए-करीम (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फ़रमाया: “दुआ इबादत का मगज़ है.” (जामि अत-तिर्मिज़ी 3371) इसका मतलब है कि दुआ इबादत का सबसे ख़ास हिस्सा है. जब हम dua for success करते हैं, तो हम यह इक़रार करते हैं कि हमारी हर कामयाबी अल्लाह की तरफ़ से है और उसके हुक्म के बिना कुछ भी मुमकिन नहीं.
यह लेख आपको बताएगा कि कैसे आप सही दुआओं के ज़रिए अल्लाह से कामयाबी मांग सकते हैं और अपनी ज़िंदगी के हर पहलू में तरक्की पा सकते हैं.

2. कौन-कौन सी दुआएं सफलता के लिए असरदार हैं?
कुरान और हदीस में ऐसी कई दुआएं हैं जो हमें kamiyabi aur tarakki ke liye rahnumai करती हैं. ये दुआएं हमें अल्लाह की पनाह में रखती हैं और हमें हर मुश्किल से निकलने में मदद करती हैं.
कुरान से चुनी गई दुआएं:
- “रब्बी ज़िद्नी इल्मा।” (सूरह ताहा, आयत 114)
- अरबी: رَبِّ زِدْنِي عِلْمًا
- तर्जुमा: “ऐ मेरे परवरदिगार, मुझे इल्म में और ज़्यादा कर दे.”
- अहमियत: यह दुआ ilm me izafa और समझदारी में बढ़ोतरी के लिए है, जो किसी भी कामयाबी की बुनियाद है. चाहे आप तालिबे इल्म हों, या किसी भी शोबे में महारत हासिल करना चाहते हों, यह दुआ बहुत मुफ़ीद है.
- “रब्बी इश्राह ली सदरी, व यस्सिर ली अमरी, वह्हुल उक़्दतम मिल् लिसा़नी, यफक़हू क़ौली।” (सूरह ताहा, आयत 25-28)
- अरबी: رَبِّ اشْرَحْ لِي صَدْرِي وَيَسِّرْ لِي أَمْرِي وَاحْلُلْ عُقْدَةً مِّن لِّسَانِي يَفْقَهُوا قَوْلِي
- तर्जुमा: “ऐ मेरे रब, मेरे लिए मेरा सीना खोल दे, और मेरे काम को आसान कर दे, और मेरी ज़बान की गिरह खोल दे, ताकि वो मेरी बात समझ सकें.”
- अहमियत: यह दुआ पैगंबर मूसा (अलैहिस्सलाम) ने तब की थी जब उन्हें फ़िरौन के सामने जाना था. यह दुआ mushkil kamon ko asaan karne, बोलने में आसानी पैदा करने, और दूसरों तक अपनी बात पहुंचाने में मदद करती है. यह job interview , exam me safalta या किसी भी ऐसे हालात के लिए बेहतरीन है जहाँ आपको अपनी बात सही से रखनी हो.
- “रब्बना आतना फिद्दुन्या हसनातंव व फ़िल आख़िरति हसनत्व वक़िना अज़ाबन्नार।” (सूरह अल-बकरा, आयत 201)
- अरबी: رَبَّنَا آتِنَا فِي الدُّنْيَا حَسَنَةً وَفِي الْآخِرَةِ حَسَنَةً وَقِنَا عَذَابَ النَّارِ
- तर्जुमा: “ऐ हमारे रब, हमें दुनिया में भलाई अता फरमा और आख़िरत में भी भलाई अता फरमा और हमें दोज़ख़ के अज़ाब से बचा.”
- अहमियत: यह दुआ dunya aur akhirat dono ki bhalai और कामयाबी के लिए एक जामा दुआ है. इसमें हर तरह की खैर और बरकत शामिल है.
हदीस से चुनी गई दुआएं:
- “अल्लाहुम्मा इन्नी अस’अलुका इल्मन नाफ़िआन, व रिज़्कन तय्यिबन, व अमलन मुतक़ब्बलन।” (इब्न माजा 925)
- अरबी: اللَّهُمَّ إِنِّي أَسْأَلُكَ عِلْمًا نَافِعًا، وَرِزْقًا طَيِّبًا، وَعَمَلاً مُتَقَبَّلاً
- तर्जुमा: “ऐ अल्लाह, मैं तुझसे फ़ायदेमंद इल्म, पाकीज़ा रिज़्क, और मक़बूल अमल की दुआ मांगता हूँ.”
- अहमियत: यह दुआ ilm, rozi aur aamal ki qabooliyat के लिए बहुत ज़बरदस्त है. यह हमें सिर्फ़ दुनियावी कामयाबी नहीं, बल्कि रूहानी तरक्की की भी राह दिखाती है.
- “या हय्यू या क़य्यूम, बि रहमतिका अस्तग़ीसु।” (जामि अत-तिर्मिज़ी 3524)
- अरबी: يَا حَيُّ يَا قَيُّومُ بِرَحْمَتِكَ أَسْتَغِيثُ
- तर्जुमा: “ऐ हमेशा ज़िंदा रहने वाले, ऐ सबको कायम रखने वाले, मैं तेरी रहमत के ज़रिए मदद मांगता हूँ.”
- अहमियत: यह दुआ har mushkil aur pareshani me madad मांगने के लिए बहुत ताक़तवर है. जब आप किसी मुश्किल हालात में हों और kamiyabi ki talash में हों, तो इस दुआ को पढ़ें.
3. कामयाबी के लिए सबसे प्रसिद्ध दुआ
अल्लाह पर पूरा भरोसा रखते हुए, एक बहुत ही ख़ास और जामा दुआ है जो kamiyabi ke liye aksar padhi jati hai:
“हस्बुनल्लाहु व निअ’मल वकील।” (सूरह आले इमरान, आयत 173)
- अरबी: حَسْبُنَا اللَّهُ وَنِعْمَ الْوَكِيلُ
- तर्जुमा: “हमें अल्लाह ही काफ़ी है और वह बेहतरीन काम बनाने वाला है.”
- अहमियत: यह दुआ तब पढ़ी गई थी जब मुसलमानों को बड़ी तादाद में दुश्मन का सामना करना पड़ा था. इस दुआ को पढ़ने से अल्लाह पर पूरा भरोसा ज़ाहिर होता है. यह दुआ हर तरह की मुश्किल, डर और परेशानी में दिल को सुकून देती है और अल्लाह से kamiyabi ki ummeed पैदा करती है.
दुआ का सही तरीका और टाइम:
दुआ करने का कोई तयशुदा वक़्त नहीं होता, लेकिन कुछ ख़ास औक़ात में दुआ की क़बूलियत की उम्मीद ज़्यादा होती है:
- फ़र्ज़ नमाज़ों के बाद: हर फ़र्ज़ नमाज़ के बाद दुआ करना सुन्नत है और इस वक़्त दुआ के क़बूल होने के इमकान ज़्यादा होते हैं.
- रात के आख़िरी हिस्से में (तहज्जुद के वक़्त): यह अल्लाह से क़ुर्बत का बेहतरीन वक़्त है.
- अज़ान और इक़ामत के बीच: इस वक़्त की दुआएं भी क़बूल होती हैं.
- बारिश के वक़्त: बारिश अल्लाह की रहमत होती है, इस वक़्त दुआ करना मुस्तहब है.
- ज़मज़म का पानी पीते वक़्त: इस वक़्त की गई दुआएं भी क़बूल होती हैं.
- सजदे की हालत में: सज्दा अल्लाह के सबसे क़रीब होने की हालत है.
अपनी दुआ में sachchi niyat aur yakeen का होना बेहद ज़रूरी है. अल्लाह दिल के इरादों को जानता है. अगर आप दिल से और पूरे यकीन के साथ दुआ करेंगे, तो अल्लाह ज़रूर आपकी मदद करेगा.
4. ज़िंदगी के अलग-अलग पहलुओं में Success पाने की दुआएं
कामयाबी की दुआएं सिर्फ़ एक तरह की नहीं होतीं, बल्कि हमारी ज़िंदगी के हर पहलू के लिए ख़ास दुआएं हैं.
पढ़ाई/एग्ज़ाम में कामयाबी की दुआ:
पढ़ाई में कामयाबी हर तालिबे इल्म की ख्वाहिश होती है. Imtihan mein acche number lane और ilm mein izafa karne के लिए आप ये दुआएं पढ़ सकते हैं:
- “रब्बी ज़िद्नी इल्मा।” (सूरह ताहा, आयत 114) – ilm me badhotri के लिए.
- “अल्लाहुम्मा इन्नी अस’अलुका फहमन्नबिय्यीन, व हिफ्ज़ल्मुर्सलीन, व इल्हामल्मलाइकतिल मुक़र्रबीन, फ़ी आफ़ियतिन या अरहमर्राहिमिन।”
- तर्जुमा: “ऐ अल्लाह, मैं तुझसे नबियों जैसी समझ, रसूलों जैसा याद करने की क़ुव्वत, और मुक़र्रब फ़रिश्तों जैसी इल्हाम (प्रेरणा) मांगता हूँ, ऐ सबसे ज़्यादा रहम करने वाले!”
- अहमियत: यह दुआ exam se pehle yaadashat tez karne और सही जवाब देने के लिए बेहतरीन है.
नौकरी और करियर में कामयाबी की दुआ:
करियर में तरक्की और अच्छी नौकरी हर किसी का ख्वाब होता है. Achhi naukri pane, business me barkat और tarakki ke liye आप ये दुआएं पढ़ सकते हैं:
- “अल्लाहुम्मा इन्नी अस’अलूका रिज़्कन तैय्यिबाम व इल्मन नाफ़िआन व अमलन मुतक़ब्बलन।” (इब्न माजा 925)
- तर्जुमा: “ऐ अल्लाह, मैं तुझसे पाकीज़ा रिज़्क, फ़ायदेमंद इल्म, और मक़बूल अमल की दुआ मांगता हूँ.”
- अहमियत: यह दुआ halal rozi, naukri me barkat और आपके काम में क़बूलियत के लिए है.
- “अल्लाहुम्मकफ़िनी बि हलालिका अन हरामिका, व अग़्निनी बि फ़ज़्लिका अम्मन सिवाक।” (जामि अत-तिर्मिज़ी 3563)
- तर्जुमा: “ऐ अल्लाह, मुझे अपनी हलाल चीज़ों के साथ अपनी हराम चीज़ों से बचा ले, और अपने फ़ज़ल (करम) से मुझे अपने सिवा हर चीज़ से बेनियाज़ कर दे.”
- अहमियत: यह दुआ karz se nijat और halal rizq me barkat के लिए बहुत मुफ़ीद है, जो नौकरी और बिज़नेस में कामयाबी के लिए ज़रूरी है.
रिश्ते और शादी में कामयाबी की दुआ:
Rishto mein barkat और acchi shadi के लिए भी दुआएं हैं:
- “रब्बी ला तज़रनी फर्दंव व अन्त खैरूल वारिसीन।” (सूरह अल-अंबिया, आयत 89)
- तर्जुमा: “ऐ मेरे रब! मुझे अकेला न छोड़, और तू ही सबसे अच्छा वारिस है.”
- अहमियत: यह दुआ nek humsafar ki talash में या औलाद की ख्वाहिश रखने वालों के लिए है.
- “अल्लाहुम्मा अल्लिफ़ बैना क़ुलूबिना, व अस्लिह ज़ाता बैनिना, वहदिना सुबुलस्सलाम।”
- तर्जुमा: “ऐ अल्लाह, हमारे दिलों में मुहब्बत डाल दे, हमारे दरमियान सुलह करा दे, और हमें सलामती के रास्तों पर चला.”
- अहमियत: यह दुआ rishto mein mithas और सुलह के लिए है, जो एक kamiyab shadi shuda zindagi की बुनियाद है.
बिज़नेस या पैसे में कामयाबी की दुआ:
Business mein tarakki और mal-o-daulat mein barkat के लिए ये दुआएं पढ़ें:
- “अल्लाहुम्मा इन्नी अस’अलुका रिज़्कन तैय्यिबन।” (इब्न माजा 925) – pakiza rozi के लिए.
- “अल्लाहुम्मा बारिक लना फ़ी समरिना, व बारिक लना फ़ी मदीनतिना, व बारिक लना फ़ी सा’इना, व बारिक लना फ़ी मुद्दिना।” (सहीह मुस्लिम 1369)
- तर्जुमा: “ऐ अल्लाह, हमारे फल में बरकत दे, हमारे शहर में बरकत दे, हमारे सा’ (नापने का पैमाना) में बरकत दे, और हमारे मुद्द (नापने का पैमाना) में बरकत दे.”
- अहमियत: यह दुआ mali barkat और business mein munafa के लिए है. यह नबी-ए-करीम (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने मदीना के लिए दुआ की थी, जो हर तरह की रिज़्क में बरकत का प्रतीक है.
5. इंस्पिरेशनल Islamic Success Stories
दुआ की क़ुव्वत के कई वाक़यात कुरान और हदीस में मिलते हैं, और आज भी लोग dua ke zariye apni zindagi me bade badlav देखते हैं.
केस स्टडी 1: इम्तिहान में कामयाबी
फ़ातिमा, एक मेहनती तालिबे इल्म थी, लेकिन इम्तिहान से पहले वह बहुत घबरा जाती थी, जिसकी वजह से वह अच्छा परफॉर्मेंस नहीं कर पाती थी. उसने अपने वालिदैन से मशवरा किया, और उन्होंने उसे दुआ की तालीम दी. फ़ातिमा ने सूरे ताहा की आयतें 25-28 (“रब्बी इश्राह ली सदरी…“) को पाबंदी से पढ़ना शुरू किया, और साथ ही अपनी पढ़ाई में भी कोई कमी नहीं छोड़ी. जब इम्तिहान का वक़्त आया, तो उसने महसूस किया कि उसका डर कम हो गया था और वह सवालों को आसानी से समझ पा रही थी. अल्लाह के फ़ज़ल से, फ़ातिमा ने इम्तिहान में शानदार कामयाबी हासिल की. उसका मानना है कि दुआ ने उसे zahni sukoon और kamiyabi ki rah दिखाई.
केस स्टडी 2: बिज़नेस में बरकत
अहमद ने एक छोटा सा बिज़नेस शुरू किया था, लेकिन उसे कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था. आमदनी कम थी और ख़र्चे ज़्यादा. उसने अपने एक बुज़ुर्ग दोस्त से मशवरा लिया, जिन्होंने उसे “अल्लाहुम्मकफ़िनी बि हलालिका अन हरामिका…” की दुआ पढ़ने की सलाह दी. अहमद ने इस दुआ को ईमानदारी से और पूरे यकीन के साथ पढ़ना शुरू किया. कुछ ही वक़्त में, उसने अपने बिज़नेस में बदलाव देखना शुरू किया. नए ग्राहक मिले, रुका हुआ काम पूरा हुआ, और धीरे-धीरे उसकी आमदनी में भी इज़ाफ़ा हुआ. अहमद ने अपने बिज़नेस में कामयाबी का श्रेय अल्लाह की रहमत और दुआ को दिया.
ये वाक़यात बताते हैं कि दुआ सिर्फ़ ज़ुबानी इबादत नहीं, बल्कि एक ताक़तवर अमल है जो हमारी ज़िंदगी पर गहरा असर डालता है.
6. सफलता की दुआ के साथ एतियात (क्या करें/क्या न करें)
दुआ कामयाबी का एक ज़रिया है, लेकिन इसके साथ कुछ बातों का ख्याल रखना बेहद ज़रूरी है:
क्या करें:
- नीयत साफ़ रखें: दुआ करने से पहले अपनी नीयत को ख़ालिस करें. आपकी दुआ सिर्फ़ अल्लाह की रज़ा और हलाल तरीक़े से कामयाबी के लिए होनी चाहिए.
- मेहनत के साथ दुआ करें: दुआ का मतलब यह नहीं कि आप मेहनत करना छोड़ दें. दुआ मेहनत के साथ मिलकर ही काम करती है. आप इम्तिहान में कामयाबी चाहते हैं तो पढ़ाई करें, नौकरी चाहते हैं तो इंटरव्यू की तैयारी करें.
- शुक्रगुज़ारी और सब्र: अल्लाह ने जो कुछ आपको दिया है, उसके लिए शुक्रगुज़ारी अदा करें. अगर आपकी दुआ फौरन क़बूल न हो, तो सब्र करें. अल्लाह बेहतर जानता है कि आपके लिए क्या बेहतर है और किस वक़्त.
- तौबा और इस्तग़फ़ार: अपने गुनाहों की माफ़ी मांगें. गुनाह दुआ की क़बूलियत में रुकावट बन सकते हैं.
- दूसरों के लिए दुआ: जब आप दूसरों के लिए दुआ करते हैं, तो फरिश्ते आपके लिए भी दुआ करते हैं.
क्या न करें:
- सिर्फ़ दुआ पर निर्भर न रहें: सिर्फ़ दुआ पढ़कर हाथ पर हाथ धरे न बैठें. कोशिश और अमल सबसे पहले है.
- शक़ न करें: दुआ करते वक़्त अल्लाह की क़ुदरत पर शक न करें. पूरा यकीन रखें कि अल्लाह आपकी दुआ ज़रूर सुनेगा.
- नाउम्मीद न हों: अगर दुआ फ़ौरन क़बूल न हो, तो नाउम्मीद न हों. अल्लाह हर चीज़ का सही वक़्त जानता है.
- हल्के में न लें: दुआ को महज़ रस्म या आदत न बनाएं. इसे एक सच्ची इबादत के तौर पर करें.
- गैर-शरई दुआएं न मांगें: ऐसी चीज़ें न मांगें जो इस्लाम के उसूलों के ख़िलाफ़ हों.
7. FAQs
यहाँ कुछ अक्सर पूछे जाने वाले सवाल और उनके जवाब दिए गए हैं:
Q1: कामयाबी के लिए सबसे असरदार दुआ कौन सी है? A1: वैसे तो हर दुआ जो इख़लास से की जाए, असरदार होती है, लेकिन कुरान की आयत “Hasbunallahu wa ni’mal wakeel” (हमें अल्लाह ही काफ़ी है और वह बेहतरीन काम बनाने वाला है) और इल्म व रिज़्क के लिए “Rabbi Zidni Ilma” और “Allahumma Inni As’aluka Ilman Nafian, wa Rizqan Tayyiban, wa Amalan Mutaqabbalan” बहुत ही मुफ़ीद और जामा दुआएं हैं. सबसे ज़रूरी बात, दुआ दिल से और पूरे यकीन के साथ की जाए.
Q2: दुआ कब-कब पढ़ सकते हैं? A3: दुआ किसी भी वक़्त की जा सकती है, लेकिन फ़र्ज़ नमाज़ों के बाद, रात के आख़िरी हिस्से में (तहज्जुद का वक़्त), अज़ान और इक़ामत के बीच, बारिश के वक़्त, और सज्दे की हालत में दुआ की क़बूलियत की उम्मीद ज़्यादा होती है.
Q3: क्या दुआ फ़ौरन क़बूल होती है? A4: दुआ अल्लाह की मर्ज़ी पर है. कभी-कभी दुआ फ़ौरन क़बूल हो जाती है, कभी कुछ वक़्त लगता है, और कभी अल्लाह उसके बदले में कोई और बेहतर चीज़ अता करता है, या आख़िरत में उसका सवाब देता है. हमें सब्र और यकीन के साथ दुआ करते रहना चाहिए और नाउम्मीद नहीं होना चाहिए.
Q4: क्या छोटी उम्र/बच्चों के लिए दुआ अलग है? A5: बच्चों के लिए कोई अलग से दुआ नहीं है, लेकिन वालिदैन अपने बच्चों के लिए वही दुआएं कर सकते हैं जो इल्म, सेहत, हिदायत और कामयाबी के लिए होती हैं. जैसे “Rabbi Zidni Ilma” या “Rabbana Hab Lana Min Azwajina wa Zurriyyatina Qurrata A’yuniv Waz’alna Lilmuttaqeena Imama.” (ऐ हमारे रब! हमें हमारी बीवियों और हमारी औलाद से आँखों की ठंडक अता फ़र्मा और हमें परहेज़गारों का इमाम बना.) (सूरह अल-फ़ुरक़ान, आयत 74). बच्चों को बचपन से ही दुआ मांगने की तरबियत देनी चाहिए.
8. Bonus Tips:
यहाँ कुछ और बातें हैं जो आपको दुआ के साथ-साथ kamiyabi ki rah पर आगे बढ़ने में मदद करेंगी:
- दुआ करते वक़्त सकारात्मक सोच: दुआ सिर्फ़ अल्फ़ाज़ का दोहराना नहीं, बल्कि दिल से अल्लाह पर भरोसा करना है. सकारात्मक सोच के साथ दुआ करें कि अल्लाह आपकी सुनेगा और आपको कामयाबी अता करेगा. नकारात्मक ख़्यालात से बचें.
- कुछ और वज़ीफ़े/अमल और सलाह:
- Sadqa: अल्लाह की राह में सदक़ा करने से भी अल्लाह मुसीबतों को दूर करता है और रिज़्क में बरकत देता है.
- Quran ki tilawat: कुरान की तिलावत से दिल को सुकून मिलता है और अल्लाह का क़ुर्ब हासिल होता है. सूरह यासीन, सूरह वाक़िया, और सूरह मुल्क की तिलावत भी बरकत के लिए बहुत मुफ़ीद है.
- Zikr-azkar: “La hawla wa la quwwata illa billah” (अल्लाह की मदद के बिना कोई ताक़त नहीं) और “Astaghfirullah” (मैं अल्लाह से माफ़ी मांगता हूँ) जैसे अज़कार ज़्यादा से ज़्यादा करें.
- Walidain ki khidmat और उनकी दुआएं: वालिदैन की दुआएं बहुत असरदार होती हैं. उनकी ख़िदमत करें और उनकी रज़ामंदी हासिल करें.
- दुआ का सोशल मीडिया पर शेयर करने का रिवॉर्ड: अगर आप दूसरों को अच्छी दुआएं सीखने और पढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं, तो यह भी सदक़ा-ए-जारिया है. आप किसी और के लिए दुआ का ज़रिया बनते हैं, तो अल्लाह आपको भी इसका अज्र देगा.
9. आखिरी अल्फ़ाज़
कामयाबी, चाहे वो दुनियावी हो या दीनी, अल्लाह की रहमत और फ़ज़ल से ही मुमकिन है. दुआ अल्लाह से क़रीब होने और अपनी ज़रूरतों को उसके सामने रखने का सबसे बेहतरीन ज़रिया है. जब हम सच्ची नीयत, पूरे यकीन और मेहनत के साथ dua for success करते हैं, तो अल्लाह हमारी दुआओं को ज़रूर क़बूल करता है.
याद रखें, अल्लाह पर भरोसा रखें, मेहनत करें, और dua for success करते रहें. आपकी ज़िंदगी के हर मोड़ पर अल्लाह आपकी मदद करेगा और आपको कामयाबी अता करेगा. दुआ हमें उम्मीद देती है, मुश्किलों से लड़ने की ताक़त देती है, और हमें एहसास दिलाती है कि हम कभी अकेले नहीं हैं. अल्लाह हमेशा हमारे साथ है.
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डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई सभी दुआएं कुरान और सुन्नत से ली गई हैं. किसी भी दुआ या वज़ीफ़े को पढ़ने से पहले, अगर आप किसी बात को लेकर शशोपंज में हैं, तो किसी आलिम-ए-दीन से मशवरा ज़रूर करें. हमारा मक़सद सिर्फ़ सही मालूमात आप तक पहुंचाना है.
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