मुश्किल वक्त की दुआ | Mushkil Se Bachne ki Dua

असलाम वालेकुम दोस्तों!

आज हम बात करेंगे एक ऐसी दुआ के बारे में जो हर मुश्किल को आसान कर देती है। जी हां, हम बात कर रहे हैं “Mushkil ke Waqt Padhi jane wali Dua” की, जिसे “Musibat Dur karne ki Dua” या “Mushkil Asan Karne ki Dua” के नाम से भी जाना जाता है। अगर आप भी इस सवाल से परेशान हैं कि “Musibat me kya Dua Padhe?” तो यह आर्टिकल आपके लिए एक नेमत साबित होगा।

हर इंसान की जिंदगी में कभी न कभी मुश्किल का वक्त आता है। कभी माली तंगी होती है, कभी सेहत की परेशानी, तो कभी घर-परिवार के मसले। ऐसे में अल्लाह का जिक्र और उनसे दुआ मांगना सबसे बड़ा सहारा बनता है। अल-बुखारी 6345 में दर्ज यह खास दुआ हर मुसलमान के लिए एक खास तोहफा है, जो न सिर्फ मुश्किलों से निजात दिलाती है, बल्कि दिल को सुकून भी देती है।

बुजुर्गों का कहना है कि जब भी कोई परेशानी आए, जब भी दिल बेचैन हो, या जब भी कोई मुसीबत सामने खड़ी हो, तो यह दुआ जरूर पढ़नी चाहिए। कई लोगों ने इस दुआ के चमत्कारी असर को खुद महसूस किया है। आइए जानते हैं इस खास दुआ के बारे में विस्तार से…

मुश्किल वक्त में यह दुआ क्यों पढ़ें?

जिंदगी में कई बार ऐसे हालात आते हैं जब हम टूटने लगते हैं। चाहे करियर की परेशानी हो, घर की टेंशन हो, या फिर सेहत से जुड़ी कोई दिक्कत – हर मुश्किल में यह दुआ एक रौशनी की तरह हमारा रास्ता रोशन करती है। यह दुआ हमें याद दिलाती है कि अल्लाह तआला हर चीज पर कादिर है और वही हमारी हर मुश्किल का हल है।

mushkil ke waqt padhi jane wali dua

Musibat ki Dua in Hindi

“ला इलाहा इल्लल्लाह अल-अज़ीम अल-हलीम, ला-इलाहा इल्लल्लाह रबुल-अर्श-अल-अज़ीम, ला इलाहा-इलल्लाह रबुस-समावाति रबुल-अर्द; वा रब-उल-अर्श अल-करीम”

Mushkil Waqt ki Dua

“La ilaha illallah Al-Adheem al-Halim,
La-ilaha illallah Rab-ul-Arsh-al-Azim,
La ilaha-il-lallah Rabus-Samawati Rab-ul-Ard;
wa Rab-ul-Arsh Al-Karim”

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Musibat Dur Karne ki Dua
لا إله إلا الله العظيم الحليم،
لا إله إلا الله رب العرش العظيم،
لا إله إلا الله رب السماوات رب الأرض؛
ورب العرش الكريم

Musibat se Bachne ki Dua और फजीलत

इस दुआ का मतलब है कि अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं। वही अजीम है, हलीम है। वही अर्श का मालिक है। वही आसमानों और जमीन का रब है, और करीम अर्श का मालिक है।

Mushil time ki dua कब और कैसे पढ़ें?

  1. सुबह की नमाज के बाद
  2. किसी अहम काम से पहले
  3. परेशानी के वक्त में
  4. रात को सोने से पहले
  5. कोई फैसला लेने से पहले
  6. दिल में बेचैनी महसूस होने पर
  7. किसी नई शुरुआत के वक्त

मुसीबत से बचने की दुआ की खासियत

  • मानसिक सुकून मिलता है
  • मुश्किलें आसान होती हैं
  • दिल को तसल्ली मिलती है
  • इंशा अल्लाह बरकत मिलती है
  • जेहन में पॉजिटिव सोच आती है
  • आत्मविश्वास बढ़ता है
  • रूहानी ताकत मिलती है

रोजमर्रा की जिंदगी में इस्तेमाल

इस दुआ को अपनी डेली रूटीन का हिस्सा बनाएं। जब भी आप:

  • ऑफिस जा रहे हों
  • कोई इम्तिहान देने जा रहे हों
  • बिजनेस मीटिंग में जा रहे हों
  • कोई नया प्रोजेक्ट शुरू कर रहे हों
  • फैमिली के साथ कोई अहम फैसला लेने वाले हों

मुश्किल को आसान करने की दुआ का असर

यह दुआ सिर्फ शब्दों का मजमुआ नहीं है, बल्कि अल्लाह से एक मजबूत रिश्ता कायम करने का जरिया है। जब आप पूरे यकीन और एहसास के साथ इस दुआ को पढ़ते हैं, तो आपको महसूस होगा कि:

  • आपकी सोच साफ होती है
  • फैसले बेहतर होते हैं
  • दिल को सुकून मिलता है
  • मुश्किलें कम लगने लगती हैं

बच्चों को भी सिखाएं

अपने बच्चों को भी इस दुआ की अहमियत बताएं। उन्हें बचपन से ही सिखाएं कि मुश्किल वक्त में अल्लाह का जिक्र कैसे करना है। यह उनकी जिंदगी के लिए एक बेशकीमती तोहफा होगा।

खातिमा

याद रखें, हर मुश्किल के साथ एक आसानी है। बस जरूरत है अल्लाह पर भरोसा रखने की और उससे दुआ करने की। यह दुआ आपको याद दिलाती है कि आप अकेले नहीं हैं, अल्लाह हमेशा आपके साथ है।

इस दुआ को अपनी जिंदगी का हिस्सा बनाएं और देखें कि कैसे आपकी जिंदगी में पॉजिटिव बदलाव आता है। अल्लाह हम सब को हिदायत दे और हर मुश्किल को आसान करे। आमीन सुम्मा आमीन! 🤲

दोस्तों, इस दुआ को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाएं ताकि और लोग भी इससे फायदा उठा सकें। जज़ाक अल्लाह खैरन!

खुदा हाफिज! 🌙

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