अस्सलामु अलैकुम वा रहमतुल्लाही वा बरकातुहू, अज़ीज़ कारीन-ए-नज़र, आज हम आपके साथ एक बेहद अहम और फज़ीलत वाले मौज़ू पर बात करेंगे। यह मौज़ू है “Tahajjud ki Namaz ka Mukammal Tarika”। इस मक़ाले में हम तहज्जुद की नमाज़ के हर पहलू को विस्तार से समझेंगे, ताकि आप इस अज़ीम इबादत को पूरी तरह से समझ सकें और इसे अपनी ज़िंदगी का हिस्सा बना सकें। अल्लाह तआला से दुआ है कि यह इल्म हमें और आपको नफ़ा बख्शे और हमारे अमल में इज़ाफा का ज़रिया बने। आमीन।
तहज्जुद की नमाज़ का तारुफ़ और अहमियत
तहज्जुद की नमाज़ इस्लाम में एक निहायत ही अहम और फज़ीलत वाली नफ्ल नमाज़ है। यह वो नमाज़ है जिसे रात के आखिरी हिस्से में, नींद से उठकर अदा किया जाता है। अल्लाह तआला ने इस नमाज़ को कुरान-ए-करीम में खास तौर पर ज़िक्र फरमाया है:
“और रात के कुछ हिस्से में इस (कुरान) की तिलावत करके तहज्जुद अदा करो। यह तुम्हारे लिए एक ज़ाइद (नफ्ली) इबादत है। करीब है के तुम्हारा रब तुम्हें मकाम-ए-महमूद पर फाइज़ करे।” (सूरह अल-इसरा, आयत 79)
तहज्जुद की नमाज़ की अहमियत इस बात से भी समझी जा सकती है कि यह हमारे प्यारे नबी मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की नियमित आदत थी।
तहज्जुद की नमाज़ का वक़्त
तहज्जुद की नमाज़ का वक़्त इशा की नमाज़ के बाद से लेकर फज्र की नमाज़ से पहले तक होता है। लेकिन इसका अफज़ल वक़्त रात का आखिरी तिसरा हिस्सा माना जाता है। अल्लाह तआला कुरान-ए-करीम में फरमाता है:
“वह लोग जो रातों को अपने रब के लिए सजदे और कियाम करते हुए गुज़ारते हैं।” (सूरह अल-फुरकान, आयत 64)
हदीस-ए-नबवी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) में भी इस वक़्त की फज़ीलत बयान की गई है:
“हमारा रब हर रात जब रात का आखिरी तिसरा हिस्सा बाकी रहता है तो दुनिया के आसमान पर नुज़ूल फरमाता है और कहता है: ‘कोई है जो मुझे पुकारे, मैं उसकी दुआ कुबूल करूं? कोई है जो मुझसे मांगे, मैं उसे अता करूं? कोई है जो मुझसे मग़फिरत तलब करे, मैं उसे बख्श दूं?'” (सहीह बुखारी, सहीह मुस्लिम)
तहज्जुद की नमाज़ की तैयारी
तहज्जुद की नमाज़ अदा करने से पहले कुछ ज़रूरी तैयारियां करनी चाहिए:
वुज़ू:
सबसे पहले पूरे आदाब के साथ वुज़ू करें। अगर मुमकिन हो तो ग़ुस्ल करना और भी बेहतर है।
पाक जगह का इंतिज़ाम:
नमाज़ अदा करने के लिए एक पाक और साफ जगह का इंतिज़ाम करें।
किबला रुख़ होना:
नमाज़ शुरू करने से पहले किबला की सही दिशा का पता लगाएं।
मानसिक तैयारी:
अपने दिल को दुनियावी ख्यालात से खाली करें और अल्लाह तआला की याद में मशगूल हों।
तहज्जुद की नमाज़ अदा करने का मुकम्मल तरीका
अब हम तहज्जुद की नमाज़ अदा करने का मुकम्मल और सही तरीका बयान करेंगे:
नीयत:
सबसे पहले दिल में तहज्जुद की नमाज़ की नीयत करें। नीयत यह होगी: “मैं अल्लाह तआला के लिए दो रकात (या जितनी रकात पढ़नी हों) तहज्जुद की नमाज़ अदा करता/करती हूं।”
तकबीर-ए-तहरीमा:
नीयत के बाद “अल्लाहु अकबर” कहकर हाथ कानों तक उठाएं और नाफ के नीचे बांध लें।
सना:
फिर यह दुआ पढ़ें: “सुब्हानकल्लाहुम्मा व बिहम्दिका व तबारकस्मुका व तआला जद्दुका व ला इलाहा गैरुक।”
तअव्वुज़ और तस्मिया:
इसके बाद “अऊज़ु बिल्लाहि मिनश्शैतानिर्रजीम” और “बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम” पढ़ें।
सूरह फातिहा:
अब सूरह फातिहा पढ़ें। इसके बाद “आमीन” कहें।
किसी और सूरह या आयात की तिलावत:
सूरह फातिहा के बाद कुरान की कोई और सूरह या कुछ आयात पढ़ें। तहज्जुद में लंबी सूरतें या आयात पढ़ना मुस्तहब है।
रुकू:
“अल्लाहु अकबर” कहकर रुकू में जाएं। रुकू में कम से कम तीन बार “सुब्हाना रब्बियल अज़ीम” कहें।
कौमा:
रुकू से उठते हुए “समिअल्लाहु लिमन हमिदह” कहें और सीधे खड़े होकर “रब्बना व लकल हम्द” कहें।
सजदा:
“अल्लाहु अकबर” कहकर सजदे में जाएं। सजदे में कम से कम तीन बार “सुब्हाना रब्बियल आला” कहें।
जलसा:
पहले सजदे से उठकर “अल्लाहु अकबर” कहते हुए थोड़ी देर बैठें।
दूसरा सजदा:
फिर “अल्लाहु अकबर” कहकर दूसरा सजदा करें और फिर से कम से कम तीन बार “सुब्हाना रब्बियल आला” कहें।
दूसरी रकात:
“अल्लाहु अकबर” कहकर दूसरे सजदे से उठें और दूसरी रकात के लिए खड़े हो जाएं। दूसरी रकात भी पहली रकात की तरह अदा करें।
क़ादा:
दूसरी रकात के बाद तशह्हुद के लिए बैठें और अत्तहियात पढ़ें।
दरूद शरीफ:
अत्तहियात के बाद दरूद शरीफ पढ़ें।
दुआ:
दरूद के बाद कोई मासूर दुआ या अपने दिल की कोई दुआ मांगें।
सलाम:
अंत में दाएं और बाएं तरफ सलाम फेरें।
तहज्जुद की नमाज़ की रकात की तादाद
तहज्जुद की नमाज़ की रकात की कोई निश्चित तादाद नहीं है। यह एक नफ्ल नमाज़ है और इसकी रकात की तादाद आपकी क्षमता और वक़्त पर निर्भर करती है। हालांकि, हदीस से पता चलता है कि:
– कम से कम 2 रकात अदा की जा सकती हैं।
– रसूल अल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) अक्सर 8 रकात अदा फरमाते थे।
– कुछ रिवायतों में 12 रकात तक का ज़िक्र मिलता है।
बेहतर यह है कि आप 2 रकात से शुरू करें और फिर धीरे-धीरे अपनी क्षमता के अनुसार बढ़ाते जाएं।
तहज्जुद के बाद की दुआएं और ज़िक्र
तहज्जुद की नमाज़ के बाद कुछ दुआएं और ज़िक्र करना मुस्तहब है:
– इस्तिग़फार करें: “अस्तग़फिरुल्लाह” (मैं अल्लाह से माफी मांगता हूं) कम से कम 3 बार कहें।
– तस्बीह पढ़ें: “सुब्हानल्लाह” (अल्लाह पाक है) 33 बार, “अलहम्दुलिल्लाह” (सारी तारीफ अल्लाह के लिए है) 33 बार, और “अल्लाहु अकबर” (अल्लाह सबसे बड़ा है) 34 बार कहें।
– कुरान की तिलावत करें।
– अपने दिल की बात अल्लाह से करें और अपनी ज़रूरतों के लिए दुआ मांगें।
तहज्जुद की नमाज़ को नियमित करने के लिए मशवरे
तहज्जुद की नमाज़ को अपनी ज़िंदगी का नियमित हिस्सा बनाने के लिए कुछ मशवरे:
जल्दी सोएं:
रात को जल्दी सोने की आदत डालें ताकि तहज्जुद के लिए आसानी से उठ सकें।
नीयत करें:
सोने से पहले तहज्जुद के लिए उठने की पक्की नीयत करें।
अलार्म लगाएं:
शुरुआत में अलार्म लगाकर उठें। धीरे-धीरे यह आपकी आदत बन जाएगी।
धैर्य रखें:
अगर किसी दिन नहीं उठ पाए तो निराश न हों। अगली रात फिर कोशिश करें।
दुआ करें:
अल्लाह तआला से तहज्जुद की तौफीक मांगें।
तहज्जुद की नमाज़ के फवाइद और बरकात
तहज्जुद की नमाज़ के कई फवाइद और बरकात हैं, जिनमें से कुछ यहां बयान किए जा रहे हैं:
रूहानी तरक्की:
तहज्जुद की नमाज़ इंसान की रूह को पाकीज़गी और सुकून अता करती है। यह इंसान को अल्लाह तआला के करीब ले जाती है।
गुनाहों की मग़फिरत:
यह नमाज़ गुनाहों की मग़फिरत का ज़रिया है। हदीस में आया है कि रात की नमाज़ पिछले गुनाहों को मिटा देती है।
दुआओं की कबूलियत:
तहज्जुद के वक़्त की गई दुआएं कबूल होने के ज़्यादा करीब होती हैं। यह वो वक़्त है जब अल्लाह तआला अपने बंदों की दुआओं को सुनने के लिए दुनिया के आसमान पर नुज़ूल फरमाता है।
आखिरत में बुलंद दरजात:
तहज्जुद की नमाज़ आखिरत में बुलंद दरजात का ज़रिया है। अल्लाह तआला कुरान-ए-करीम में वादा फरमाता है कि तहज्जुद गुज़ार बंदों को मकाम-ए-महमूद अता किया जाएगा।
दुनियावी मुश्किलात में आसानी:
तहज्जुद की बरकत से अल्लाह तआला दुनियावी मुश्किलात में आसानी अता फरमाता है।
तहज्जुद की नमाज़ में पढ़ी जाने वाली सूरतें और दुआएं
तहज्जुद की नमाज़ में कोई भी सूरह या आयात पढ़ी जा सकती हैं, लेकिन कुछ सूरतें और दुआएं खास तौर पर मुस्तहब हैं:
सूरतें:
– सूरह अल-बकरा की आखिरी दो आयात (आयतुल कुरसी सहित)
– सूरह आल-ए-इमरान की आखिरी आयात
– सूरह अज़-ज़ुमर
– सूरह अस-सजदा
दुआएं:
– “अल्लाहुम्मा लका-ल-हम्दु अन्ता नूरुस्समावाति वल-अर्ज़ि वा मन फीहिन्ना…”
– “अल्लाहुम्मा रब्बना लका-ल-हम्दु अन्ता कय्यिमुस्समावाति वल-अर्ज़ि वा मन फीहिन्ना…”
तहज्जुद की नमाज़ में आने वाली मुश्किलात और उनका हल
तहज्जुद की नमाज़ शुरू करने या जारी रखने में कुछ मुश्किलात आ सकती हैं। यहां कुछ आम मुश्किलात और उनके हल दिए जा रहे हैं:
नींद से न उठ पाना:
हल: जल्दी सोने की आदत डालें, अलार्म लगाएं, और धीरे-धीरे अपने जिस्म को आदत डालें।
सुस्ती या आलस महसूस करना:
हल: तहज्जुद के फवाइद को याद करें, वुज़ू करें, और हल्की कसरत करें।
वक़्त की कमी महसूस करना:
हल: अपने दिन का शेड्यूल बेहतर बनाएं और प्राथमिकताएं तय करें।
एकाग्रता में कमी:
हल: नमाज़ से पहले दुनियावी ख्यालात को दूर करने की कोशिश करें, और नमाज़ में पढ़ी जाने वाली आयात के मानी समझें।
खातिमा
अज़ीज़ कारीन-ए-नज़र, तहज्जुद की नमाज़ एक ऐसी इबादत है जो इंसान की ज़िंदगी को मुकम्मल तौर पर बदल सकती है। यह अल्लाह तआला के साथ एक खास रिश्ता कायम करने का ज़रिया है। इस मुकम्मल मार्गदर्शिका के ज़रिए हमने तहज्जुद की नमाज़ के हर पहलू को समझने की कोशिश की है।
याद रखें, हर इबादत में इख्लास और इस्तिकामत सबसे अहम है। अगर आप तहज्जुद की नमाज़ को अपनी ज़िंदगी का हिस्सा बनाते हैं, तो इन्शाअल्लाह आप इसके बेशुमार फवाइद और बरकात से फायदा उठाएंगे।
अल्लाह तआला से दुआ है कि वो हमें तहज्जुद की नमाज़ की तौफीक अता फरमाए और इस के ज़रिये अपनी रहमत और मग़फिरत से नवाज़े। आमीन।