बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम
रमज़ान के मुक़द्दस महीने में Taraweeh ki Namaz एक ख़ास इबादत है। आज हम आपको तरावीह की नमाज़ पढ़ने का मुकम्मल तरीका स्टेप बाय स्टेप बताएंगे। इस आर्टिकल को पढ़कर आप आसानी से तरावीह की नमाज़ अदा कर सकेंगे।
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Taraweeh kya Hai?
तरावीह एक ख़ास नमाज़ है जो सिर्फ रमज़ान के महीने में इशा की नमाज़ के बाद पढ़ी जाती है। यह सुन्नत-ए-मुअक्कदा है, यानी इसे अदा करना बहुत सवाब का काम है। हज़रत मुहम्मद (ﷺ) ने खुद इस नमाज़ को रमज़ान के महीने में अदा किया था।
Taraweeh ki Namaz ka Waqt
- तरावीह का वक़्त इशा की फर्ज़ नमाज़ के बाद शुरू होता है।
- सुबह सादिक़ से पहले सेहरी का वक्त खत्म होने से पहले तक अदा की जा सकती है।
- बेहतर है कि इशा की नमाज़ के तुरंत बाद अदा की जाए।
Taraweeh ki Namaz ki Kitni Rakat Hai?
- ज़्यादातर उलमा के मुताबिक़ तरावीह 20 रकात है
- हर 4 रकात के बाद थोड़ी देर आराम किया जाता है
- 2-2 रकात करके अदा की जाती है
- हर 4 रकात के बाद “तरविहा” यानी थोड़ा आराम किया जाता है
तहज्जुद की नमाज़ का वक्त | Tahajjud Namaz Best Time
Taraweeh ki Namaz ki Niyat ka Tarika
“नियत करता/करती हूं मैं तरावीह की 2 रकात नमाज़ अदा करने की, अल्लाह के लिए, मुंह मेरा क़िबला शरीफ की तरफ” अल्लाहुअकाबर!

Taraweeh Padhne Ka Tarika Hindi Me
स्टेप 1: पहली दो रकात
- तकबीर-ए-तहरीमा के साथ नमाज़ शुरू करें
- सना पढ़ें
- सूरह फातिहा पढ़ें
- कोई छोटी सूरह या कुछ आयतें पढ़ें
- रुकू करें
- 2 सजदे करें
- दूसरी रकात में भी इसी तरह पढ़ें
- क़ायदा (अत्तहियात) पढ़कर सलाम फेर दें
स्टेप 2: बाक़ी रकात
- हर दो रकात इसी तरह अदा करें
- हर 4 रकात के बाद थोड़ी देर बैठकर आराम करें
- इस दौरान तस्बीह या ज़िक्र कर सकते हैं।
(नोट: तरावीह की नमाज़ में पूरे रमज़ान के दौरान पूरा एक कुरान पढ़ा जाता है। इसके अलावा तरावीह जमात के साथ पढ़ना मुस्तहाब है। लेकिन अगर कोई किसी वजह से जमात में शामिल नहीं हो सकता है और उसे कुरान भी पूरा पढ़ना नहीं आता है तो जो भी सुरह आती हो उसे पढ़ सकता है। 2-2 रकात की नमाज़ में, पूरी 20 रकात तक।)
तरावीह में क़ुरान की तिलावत
- पूरे रमज़ान में क़ुरान ख़तम करना सुन्नत है
- इमाम को चाहिए कि वह साफ और ठहर-ठहर कर क़ुरान पढ़े।
- मुक़्तदी ध्यान से सुनें और समझने की कोशिश करें
ख़ास बातें और ज़रूरी हिदायत
जमात की अहमियत
- तरावीह जमात के साथ पढ़ना ज़्यादा सवाब का काम है
- मस्जिद में जमात के साथ अदा करें
- अगर मस्जिद नहीं जा सकते तो घर पर भी अदा कर सकते हैं
ख़वातीन के लिए हिदायत
- घर पर अदा कर सकती हैं।
- पर्दे का ख्याल रखते हुए मस्जिद भी जा सकती हैं।
- औरतों के लिए घर पर नमाज़ पढ़ना ज़्यादा बेहतर है।
तरावीह में दुआ
- हर 4 रकात के बाद दुआ कर सकते हैं।
- अल्लाह से मग़फिरत और नेकी की दुआ करें।
- अपने लिए और तमाम मुस्लिम्स के लिए दुआ करें।
अगर रकात मिस हो जाए तो
- बाद में पूरी कर सकते हैं।
- इमाम के साथ जो मिल जाए वो पढ़ें।
- बाक़ी रकात बाद में कम्पलीट करें।
तरावीह के आदाब
- वुज़ू के साथ अदा करें
- सफ सीधी करें
- इमाम के पीछे ध्यान से क़ुरान सुनें
- बेमतलब बातें न करें
- मोबाइल फोन बंद रखें
कॉमन मिस्टेक्स से बचें
- जल्दी-जल्दी नमाज़ न पढ़ें
- रुकू सजदे ठीक से करें
- तशह्हुद और दरूद शरीफ मुकम्मल पढ़ें।
- सलाम ठीक से फेरें।
बच्चों की तरबियत
- बच्चों को भी तरावीह की आदत डालें
- उन्हें साथ लेकर जाएं
- थोड़ी देर के लिए ही सही, उन्हें मस्जिद ले जाएं
- घर पर भी उन्हें नमाज़ की तरबियत दें
तरावीह के फवाइद
- क़ुरान से ताल्लुक़ मज़बूत होता है
- रूहानी सुकून मिलता है
- जिस्मानी सेहत के लिए भी मुफ़ीद है
- जमात से यूनिटी पैदा होती है
- सवाब-ए-जारिया मिलता है
अगर तरावीह मिस हो जाए
- अगले दिन क़ज़ा नहीं की जाती
- अगली रात नॉर्मल तरीके से शुरू करें
- मिस हुई रकात की क़ज़ा नहीं है
तरावीह के बाद
- वित्र की नमाज़ अदा करें
- दुआ करें
- अल्लाह का शुक्र अदा करें
ख़ास नुकात
सफर में तरावीह
- सफर में भी अदा कर सकते हैं
- कम रकात भी पढ़ सकते हैं
- जमात मिले तो जमात से पढ़ लें
बीमार के लिए
- जितनी ताक़त हो उतनी अदा करें
- बैठ कर भी पढ़ सकते हैं
- इशारे से भी अदा कर सकते हैं
तरावीह में तिलावत
- तर्तील के साथ पढ़ें
- तजवीद का ख्याल रखें
- अरबी के साथ मीनिंग भी समझें
खातिमा (कन्क्लूज़न)
तरावीह रमज़ान की एक अहम इबादत है। इसे पूरे खुलूस के साथ अदा करना चाहिए। अल्लाह तआला हमें इस इबादत को बेहतर तरीके से अदा करने की तौफ़ीक़ अता फरमाए। अगर कोई ग़लती हो जाए तो अल्लाह से माफ़ी मांग लें और अगली बार बेहतर करने की कोशिश करें।
याद रखने वाली अहम बातें
- वुज़ू के साथ नमाज़ अदा करें
- जमात का ख्याल रखें
- खुशू-खुज़ू से अदा करें
- पूरे महीने में रेगुलर रहें
- क़ुरान को समझने की कोशिश करें
दुआ है कि अल्लाह तआला हमें रमज़ान की इबादत का हक़ अदा करने की तौफ़ीक़ अता फरमाए और हमारी इबादतों को क़बूल फरमाए। आमीन।
(नोट: यह आर्टिकल आम फहम ज़बान में लिखा गया है ताकि हर कोई इसे आसानी से समझ सके। किसी भी मसले पर शक हो तो किसी क्वालिफाइड आलिम से रुजू करें।)
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