Ramzan me Iftar ki Dua: रमज़ान का पाक महीना मुसलमानों के लिए बेहद खास होता है। इस महीने में इबादत और तौबा का खास अहमियत है। रोज़ा रखना इस्लाम के पांच पिल्लारो में से एक है, और इसकी शुरुआत सेहरी से होती है और इफ्तार पर खत्म होती है। इफ्तार का वक्त बहुत अहम होता है और इस समय की गई दुआएं अल्लाह के दरबार में जल्दी क़ुबूल होती हैं। इस लेख में हम इफ्तार की दुआ, उसके महत्व और इससे जुड़ी हदीसों के बारे में विस्तार से जानेंगे।
इफ्तार का वक्त और अहमियत
इफ्तार का वक्त मगरीब की अज़ान के साथ शुरू होता है, “अपने शहर का इफ्तार का वक्त जानने के लिए Ramzan Iftar Tool 2025 का इस्तमाल करें” जब सूरज डूब चुका होता है। यह समय रोज़ेदारों के लिए बेहद अहम होता है, क्योंकि वे अपना रोज़ा खोलते हैं। इफ्तार केवल भूख मिटाने का नहीं, बल्कि अल्लाह की नेमतों का शुक्र अदा करने और दुआएं करने का लम्हा है। इस दौरान की गई दुआओं को अल्लाह जल्द क़ुबूल करता है।
यह समय रूहानी ताज़गी और आत्मिक सुकून का एहसास कराता है, जो अल्लाह की बारगाह में अपनी दुआएं पेश करने का बेहतरीन मौका होता है।
हदीस में इफ्तार की फज़ीलत
हदीस 1: अबू हुरैरा (रज़ी अल्लाहु अन्हु) से रिवायत है कि नबी-ए-करीम (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फरमाया, “तीन लोगों की दुआ कभी रद्द नहीं होती: रोज़ेदार की दुआ इफ्तार के वक्त, इन्साफ़ करने वाले हाकिम की दुआ, और मज़लूम की दुआ।” (जामे तिर्मिज़ी, हदीस 2526)
हदीस 2: अब्दुल्लाह बिन उमर (रज़ी अल्लाहु अन्हु) से रिवायत है कि नबी-ए-करीम (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फरमाया, “जब कोई तुम में से रोज़ा खोले, तो खजूर से खोले। अगर खजूर न हो, तो पानी से खोले।” (सुनन अबू दाऊद, हदीस 2356)

iftar ki Dua in Hindi
दुआ: “अल्लाहुम्मा इन्नी लका सुमतु व बिका आमन्तु व अलैका तवक्कलतु व अला रिज़्क़िका अफ्तारतु।”
तर्जुमा: “हे अल्लाह, मैंने तेरे लिए रोज़ा रखा, तुझ पर ईमान लाया, तुझ पर भरोसा किया और तेरे दिए हुए रिज़्क़ से इफ्तार किया।”
Iftar ke Bad ki Dua
Roman English: “Allahumma inni laka sumtu wa bika aamantu wa alaika tawakkaltu wa ala rizqika aftartu.”
इफ्तार की तैयारियाँ
रमज़ान में इफ्तार की तैयारियाँ बड़े शौक से की जाती हैं। घरों में तरह-तरह के पकवान बनते हैं। लेकिन याद रखें, इस वक्त का असल मकसद इबादत और शुक्रगुज़ारी है। इफ्तार के दौरान खाने-पीने में इतना मशगूल न हों कि इबादत का वक्त निकल जाए।
इफ्तार के फायदें
- रूहानी ताज़गी: रोज़ा खोलने से रूहानी ताज़गी मिलती है और अल्लाह के करीब महसूस होता है।
- शुक्रगुज़ारी: इफ्तार का वक्त अल्लाह की नेमतों का शुक्र अदा करने का होता है।
- दुआ की क़ुबूलियत: इस वक्त की गई दुआएं जल्दी क़ुबूल होती हैं।
रमज़ान में इफ्तार के वक्त की फज़ीलत
- दुआ की ताक़त: इफ्तार के वक्त की गई दुआ में खास ताक़त होती है। लोग अपनी जरूरतें, माफी और रहमतें मांगते हैं।
- भाईचारे का बढ़ावा: इफ्तार के वक्त लोग मिलकर खाना खाते हैं। यह भाईचारे और मोहब्बत को बढ़ावा देता है।
- सदका और खैरात: इफ्तार के वक्त गरीबों और जरूरतमंदों के लिए खाने का इंतजाम करना भी एक बड़ा सवाब का काम है।
इफ्तार कराने की फजीलत
हदीस 3: अनस बिन मालिक (रज़ी अल्लाहु अन्हु) से रिवायत है कि नबी-ए-करीम (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फरमाया, “जो कोई रोज़ेदार को इफ्तार करवाता है, उसे रोज़ेदार के बराबर सवाब मिलता है, बिना इसके कि रोज़ेदार के सवाब में कोई कमी हो।” (सुनन इब्न माजा, हदीस 1746)
इफ्तार का रूहानी पहलू
इफ्तार का वक्त सिर्फ शख्सी नहीं, बल्कि मिलकर भी अहमियत रखता है। यह वक्त परिवार और दोस्तों के साथ बिताने का होता है। मस्जिदों में सब के साथ इफ्तार का एहतमाम होता है, जहां लोग मिलकर रोज़ा खोलते हैं। यह इत्तेहाद और भाईचारे की जज़्बे को बढ़ावा देता है।
इफ्तार में खजूर और पानी की अहमियत
खजूर से इफ्तार करना सुन्नत है। खजूर में कई पोषक तत्व होते हैं, जो तुरंत एनर्जी देते हैं। इसके अलावा, पानी से रोज़ा खोलना भी फायदेमंद होता है, क्योंकि यह शरीर को हाइड्रेट रखता है।
इफ्तार के बाद की इबादत
इफ्तार के बाद मगरीब की नमाज़ अदा की जाती है। इसके बाद लोग तरावीह की नमाज़ के लिए मस्जिद जाते हैं। रमज़ान की रातों में की गई इबादत का सवाब कई गुना बढ़ जाता है।
रमज़ान में सदका और खैरात
रमज़ान का महीना नेकियाँ करने का बेहतरीन मौका होता है। इस महीने में किए गए सदका और खैरात का सवाब कई गुना बढ़ जाता है। इफ्तार के वक्त गरीबों को खाना खिलाना एक बड़ा सवाब का काम है।
FAQs iftar ki Dua in Hindi
इफ्तार का सही वक्त कब होता है?
मगरीब की अज़ान के साथ इफ्तार का वक्त शुरू होता है। यह समय रोज़ा खोलने का सही वक्त होता है।
इफ्तार में कौन सी दुआ पढ़नी चाहिए?
इफ्तार की दुआ: “अल्लाहुम्मा इन्नी लका सुमतु व बिका आमन्तु व अलैका तवक्कलतु व अला रिज़्क़िका अफ्तारतु।” यह दुआ रोज़ा खोलने से पहले पढ़ी जाती है।
इफ्तार के वक्त की गई दुआ क्यों अहम है?
हदीस में आता है कि इफ्तार के वक्त रोज़ेदार की दुआ रद्द नहीं होती। यह वक्त अल्लाह से अपनी जरूरतें मांगने का होता है।
इफ्तार के वक्त कौन-कौन सी चीज़ें खानी चाहिए?
इफ्तार खजूर और पानी से करना सुन्नत है। इसके अलावा हल्का और पौष्टिक खाना खाएं।
रमज़ान में इफ्तार की क्या अहमियत है?
इफ्तार के वक्त लोग मिलकर खाना खाते हैं, जिससे समाज में एकता और भाईचारा बढ़ता है।
इफ्तार के बाद क्या करना चाहिए?
इफ्तार के बाद मगरीब की नमाज़ अदा करें और फिर इबादत में मशगूल रहें। तरावीह की नमाज़ भी पढ़ें।
क्या इफ्तार के वक्त गरीबों की मदद करना चाहिए?
हां, इफ्तार के वक्त गरीबों और जरूरतमंदों को खाना खिलाने का बहुत सवाब है। यह भाईचारे को बढ़ावा देता है।
आखरी अल्फाज़
इफ्तार का वक्त रमज़ान का एक अहम हिस्सा है। यह वक्त अल्लाह की नेमतों का शुक्र अदा करने और उसकी रहमतों को पाने का होता है। इफ्तार के दौरान की गई दुआएं अल्लाह के दरबार में जल्दी क़ुबूल होती हैं। इसलिए, इफ्तार के वक्त इबादत और दुआ में मशगूल रहें और अल्लाह से अपनी जरूरतें मांगें। रमज़ान के इस पाक महीने में हमें अल्लाह की रहमतों का भरपूर फायदा उठाना चाहिए। रमज़ान मुबारक!
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